Wednesday, March 9, 2016

ईश्वर की खोज

ईश्वर की खोज
ईश्वर पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे कि उन्हें दूर से शैतान आता हुआ दिखा। शैतान ने दूर से ही ईश्वर को पहचान लिया और तुरंत सड़क किनारे की झाड़ियों में जा छिपा। ईश्वर मुस्कुराते हुए आगे बढ़े और सोचने लगे कि जब पृथ्वी पर शैतान मुझे पहचान लेता है तो यहाँ दूसरे सभी लोग भी मुझे पहचान लेते होंगे।
ईश्वर आगे बढ़े तो उन्हें एक भक्त मिला। पर वह ईश्वर को पहचान  नहीं पाया। तब ईश्वर ने उससे पूछा, ‘कहो भाई, कहाँ जा रहे हो?’
भक्त बोला, ‘मैं ईश्वर की खोज में जा रहा हूँ।’ यह सुन ईश्वर ने पूछा, ‘यदि तुम्हें राह में ईश्वर दिख जावेंगे तो क्या तुम उन्हें पहचान लोगे?’ भक्त ने कहा, ‘मैं उनको पहचानता तो नहीं हूँ, पर उनके कीमती वस्त्र व आभूषणों से उन्हें अवश्य पहचान लूँगा।’
‘ठीक है, तुम अपनी तलाश जारी रखो’ यह कहकर ईश्वर आगे चल पड़े।
कुछ समय बाद उन्हें एक आस्तिक आता नजर आया। वह ईश्वर को न पहचान सका, तो ईश्वर ने उससे भी पूछा कि वह कहाँ जा रहा था। आस्तिक ने कहा कि वह अपनी आत्मा की खोज में है। ईश्वर ने उससे प्रष्न किया, ‘तुम्हारी आत्मा तो तुम्हारे ही अंतः में है, वह बाहर कैसे मिल पावेगी?’ आस्तिक बोला, ‘वह तो मुझे पहले भी बताया गया था, पर बाद में मुझे पता चला कि वह भटक गई है। अतः मैं उसे खोजने चला हूँ।’ तब ईश्वर ने पूछा, ‘‘यदि तुम्हें राह में तुम्हारी आत्मा दिख जावेंगी तो क्या तुम उसे पहचान लोगे?’ वह बोला, ‘मुमकिन है कि मैं उसे पहचान लूँगा क्योंकि सुना है कि उसमें ईश्वर का सा तेज होता है।’
तब ईश्वर ने पूछा, ‘क्या तुम जानते हो कि ईश्वर का तेज कैसा होता है?  
वह बोला, ‘ ईश्वर का तेज शुद्ध सोने की तरह होता है?
‘ठीक है, तुम अपनी तलाश जारी रखो’ यह कहकर ईश्वर आगे चल पड़े।
भूपेन्द्र कुमार दवे
आगे चलकर ईश्वर को एक नास्तिक मिला और वह भी ईश्वर को नहीं पहचान सका। ईश्वर के पूछने पर उसने बताया कि वह स्वयं की खोज में निकला था। यह सुन ईश्वर ने उससे पूछा, ‘ यदि राह में कोई तुम्हें मिला तो तुम कैसे पहचान लोगे कि वह तुम्हीं हो या फिर और कोई?’ वह बोला, ‘यह बिल्कुल सरल है। जो भी ईश्वर की तरह तेजस्वी दिखेगा, वही मैं हूँगा।’
‘ठीक है, तुम अपनी तलाश जारी रखो’ यह कहकर ईश्वर आगे चल पड़े।
और आगे चलकर ईश्वर को एक नन्हा बालक दिखा। ईश्वर ने उससे पूछा, ‘बेटा! तुम अकेले कहाँ जा रहे हो?’ बालक बोला, ‘मैं अपनी माँ को ढूँढ़ रहा हूँ।’ यह सुन ईश्वर  ने प्रश्न किया, ‘राह में तुम्हारी माँ अगर तुम्हें दिख गई तो क्या तुम उसे पहचान लोगे?’ बच्चा बोला, ‘मेरी माँ तो बचपन में ही ईश्वर के पास चली गईं थी फिर भला मैं उसे कैसे पहचान पाऊँगा? पर मेरी माँ तो मुझे पहचानती है, वह दौड़कर मुझे अपने गले लगा लेगी।’ 
यह सुन ईश्वर ने कहा, ‘यदि माँ ईश्वर के पास चली गई है तो तुम ईश्वर से ही क्यों नहीं पूछ लेते कि तुम्हारी माँ कहाँ है।’ 
बालक बोला, ‘ईश्वर क्या बतावेगा? उसे मेरी फिकर होती तो वह खुद ही मेरी माँ को मेरे पास भेज देता। मैं ईश्वर को ढूँढने में अपना समय क्यूँ खराब करूँ?’
यह सुन ईश्वर ने कहा, ‘बेटा, क्या तुम मुझे नहीं पहचानते? मैं  ईश्वर हूँ।’
तब बच्चा बोला, ‘तुम ईश्वर नहीं हो। यदि तुम ईश्वर होते तो मेरा समय इस तरह बरबाद नहीं करते। ईश्वर दयालू होता है वह तुम्हारे समान निष्ठुर नहीं होता। वह मेरी मॉं को अपने साथ लेकर ही मेरे सामने आता।’
यह सुन ईश्वर को निरुत्तर होना पड़ा। 

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